कुछ न बोलें तब
तक अच्छे,
कुछ
बोलें तो बुरे!
गाँव
के मंदिरमें बाहरसे करें नमस्कार तो अच्छे,
अन्दर
पाँव धरें तो बुरे!
समूह
भोज में दूर बैठ खाएं तो अच्छे,
साथ
बैठें कि बुरे.!
चुप
रह अपमान सहें तब तक अच्छे,
उलट
प्रहार करें कि बुरे!
झाडू
लगाते रहें तब तक अच्छे,
अफसर
हुए कि बुरे!
लोटा
मुंह लगाए बिना पानी पियें तो अच्छे,
लोटा
मुंह लगाएं कि बुरे!
गर
पधारें आप तो ठंडा पेय धरें तो अच्छे,
मटुकी
का पानी पिलायें कि बुरे!
चाय
का कप धोकर कोने में छुपायें तब तक अच्छे,
झूठा
कप लौटाएं कि बुरे!
जाति
छुपाकर चुप रहें तब तक अच्छे,
जाति
गौरव से बताएं कि बुरे!
आचार
विचार तुम्हारे अपनाएँ तब तक अच्छे,
हमारे
रीति रिवाज से चलें कि बुरे!
झूठन
मांगें तब तक अच्छे,
हक़
स्वमान मांगें कि बुरे !
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