समानता,स्वतंत्रता,बंधुता की
काव्य में करूँ बात आज
गर फ्रेंच क्रांति के वक्त की होती,
लुइ की गिलोटिन के झटके से मर गया होता.
राष्ट्र राष्ट में बसते-श्वसते सब की
काव्य में करूँ बात आज.
गर हिटलर की थर्ड राइक के वक्त की होती,
गेस चेम्बर र्में दम घोंटते मर गया होता.
सर्व समान,संपत्ति सब की
काव्य में करूँ बात आज.
गर मुसोलिनीके इटली में की होती,
फायरिंग स्क्वोड़ की गोलीबारी में मर गया होता.
समानता बिना स्वतंत्रता नहीं,
काव्य में करूँ बात आज
गर फ्रांको के स्पेन में की होती
कवि लोर्का की तरह ज़िंदा दफ़न किया जाता.
भीरु मैं,
हिटलर,मुसोलिनी,फ्रांको की आड़ में
आज भी डरते डरते
काव्य में करूँ बात
समानता,स्वतंत्रता,बंधुता की.
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