कालिदास
की पार्वती :
सद्य
स्नाता
भाल से
फिसल के
नासिकाग्र
से होठो पर से
चिबुक
से कन्थ्मार्ग जा कर
स्तन
उपत्यका में फिसल के
नाभिगव्हर
में समा गया
एक
जलबिंदु!
श्रमिक
पार्वती :
बनाते
हुए मकान की दीवारों पर
इंटे
चढ़ाकर
बैठी
थक आकर
बूखी
बच्ची को
स्तन
पान कराने.
भाल से
फिसल के
नासिकाग्र
से होठो पर बहकर
चिबुक
से कंठ मार्ग से होकर
स्तन
उपत्यका में गया
प्रस्वेद
बिंदु
मील
गया माँ के दूध से
भूखी
बच्ची
पी रही
थी दूधमिश्रित माँ के
प्रस्वेद
को !
No comments:
Post a Comment