चलता
आया है
वैसे
ही चलता रहेगा मानव समाज.
आदि
काल में भी प्रश्न यही थे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
अग्नि
खोजी,चक्र खोजा,हल खोजा,
शिकार
छोड़ कर जुताई की तब भी
प्रश्न
यही थे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
पुराण
कालमें,प्राचीन काल में,मध्य काल में
प्रश्न
यही थे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
औद्योगिक
क्रांति की,
फ्रेंच
क्रांति की,रूसी क्रांति की
फिर भी
प्रश्न यही रहे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
टेक्नोलोजी
लाये,
एल.पी,जी.लाये,
फिर भी
प्रश्न यही रहे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
बुद्ध
आये,मार्क्स आये,
गांधी
आये,अम्बेडकर आये,
फिर भी
प्रश्न वही रहे :
भूख,युद्ध
और दासत्व!
चलता है वैसे ही चलता रहेगा यह मानव
समाज!
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