केवल मानव को ही तू ने दिये
आँसू और मुश्कान,
क्रोध और करुणा,
प्रेम और इर्षा
वाणी और क्षुधा
रंग और स्वाद
केवल मानव को ही तू ने दिये
तन मन धन के सुख-दुःख,
काली और गोरी चमड़ी !
फट रे बुरे भगवान्,
केवल मानव को ही तू ने दिये
युद्ध और हथियार !
जाति पांति के भेद
और
तरह तरह के भगवान् !
फट रे बुरे भगवान्......
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