बुढ्ढा
कहता सच
लेकिन
कटु.
दरिया
पार से आया हिन्द,
कहा : अंग्रेजी
में नहीं,गुजराती में बोलो !
गोर
हाकिम बिना अंग्रेजी
कैसे
होते प्रभावित?
फिर
कहा :
हिन्द
शहरों में नहीं, गाँवों में श्वसता है,
वहां
जाओ.
मुंबई
का रेसकोर्स छोड कर
क्या
हमें धुल फाकनेकी?
स्वाद
छोडो,सुविधा छोडो,
लोगों
में घुलमिल जाओ!
पर
बुढ्ढा तो न खाने देता है,
न पीने
देता है शराब.
हम
प्रिवी काउन्सील के विद्वान वकील,
सूट
बूट एप्रल गाउन छोड़ कर
क्या
कछनी पहनें?
विदेशी वस्त्र
छोडो,
खादी
पहनो.
भाईसा'ब,बुनकर
की बुनी हुई
खुरदरी
खादी कैसे पहनी जाय?
बदन
छिलता है!
खुद
काटो,खुद बुनो,
सूत के
तार से मिलेगी आज़ादी!
केवल
बकवास!
हिन्दू-मुस्लिम
भाई-भाई
रीति-रिवाज
धर्म हमारे अलग,
कैसे
हो जाए भाई भाई?
अछूतों
से छूताछूत न रखो,
मंदिर
के दरवाजे उन के लिए खोल दो!
ये तो
हद हो गई!
रसाताल
जायेगी धरती!
जो
शास्त्र छूआछूत को मान्यता देते हैं,
उन को
मारो ठोकर.
अरे
अरे,क्या बात करते हो?
पवित्र
शास्त्रों को ठोकर मारी जाती है क्या?
बुढ्ढे
की मति भ्रष्ट हुई है.
भारत-पाक
का बटवारा
मेरे
शब् पर होगा.
ओ मेरे
बाप,तौबा तौबा
इन
लोगों के साथ अब तो रहना
दुष्कर
है.
बुढ्ढा
कहता है.
कायदे
आझम जिन्हा को प्रधान मंत्री बनाओ.
होठों
तक आया हुआ अमृत का पियाला
छीन
लेना चाहता है ये बुढ्ढा
कश्मीरर्की
जनता को
स्वयं
फैंसला करने दो.
पाकिस्तान
को उसका हिस्सा दे दो.
ये तो
हद हो गई !
बुढ्ढे
को चुप करना ही पडेगा!
धडाम......
हे
राम........
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