बिना
राजा के राज्य रचे किन्तु,
बिना
श्रेष्ठी के समाज न रच पाए.
रोटी
दी तो वाणी दे न सके,
वाणी
दी तो रोटी दे न सके.
कितनी
ही खोजी राज्य पद्धतियाँ,
एक
बेचारी गरीबी को दूर न कर सके.
कितनी
ही खोजी अर्थशास्त्रकी भूलभूलैया,
अफ्रिका
की भूख बुझा न सके.
अम्बेडकर
के अपनाए संविधान
मन की
अस्पृश्यता दूर न कर सके.
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