मानव तू महान,
हस्ति सम कुरूप प्राणी को
तू ने सौन्दर्य दिया,
देव पद पर पहुँचाया
मानव तू महान.
धातु के तार में से
मुए पशु की खाल में से
सात सुर,
त्रिताल रचे,
मानव तू महान.
नारी के अंग-उपांगो को,
प्यार कर कर के
तू ने सौन्दर्य दिया,
सूर्यमंदिर की शैल पाटों में हुबहू बनाई नारी,
उपमा के श्रृंगार से कालिदास ने पार्वती,
रवीन्द्रनाथ ने उर्वशी रची कल्पना से
नारी सौन्दर्य को दिया मूर्त रूप,
मानव तू महान.
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