हे
काव्य शास्त्रीओ
मम्मटो,एरिस्टोटलो
सुनो
खुले रख कर कान.
आप को
ट्रेजेडी में भी आनंद मिलता है,
कोमेडी
में भी आनंद मिलता है,
मल
विसर्जन जैसे
केथार्सिस
का भावोन्नय अनुभव
आप को
होअता है.
ठीक
है,होने दो.
लेकिन
हम
दलितों की ट्रेजेडी
आप के
आनंद के लिए नहीं है.
हमारी
यातनाएं
आप के
आनंद के लिए नहीं है,
लेकिन
पीड़ा देने के लिए है.
हमारी
ट्रेजेडी
हमारी
पीडाएं है.
हमारा
आक्रोश है.
आपको
आनंद प्रदान करने के लिए
हम ने
कलम नहीं उठाई अहि.
आप से लड़ने
के लिए उठाई है.
हमारी
कलम केवल कलम नहीं है,
तलवार
है.
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