निषाद : प्रवीण गढ़वीकी गुजराती कविता हिन्दी अनुवादमें
Saturday, May 19, 2018
दानव दो अजर अमर
नहीं नहीं देव, नहीं भगवान,
इस विश्व में
हैं केवल,
क्षुधा और काम,
दानव दो अजर अमर.
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