धरती पर सांस लेते सात अबज
मानव में से मैं एक.
वैज्ञानिकों ने बाँट कर दिये
समान हिस्से से मिले मुझे चार तारक.
चार तारक का स्वामी मैं
चाहूँ तो इसके एक दो ग्रह उपग्रह को
रंग दूँ नीले हरी धरती जैसे.
जीवन ज्योत जलाऊं,
उत्क्रांति को क्रांति में पलटू.
सिर्फ दूँ सुख,न दुःख, न आँसू.
सब सामान,न भूख,न युद्ध.
न शोषण,न अपमान,न अत्याचार.
एक ऐसा ग्रह गढ़ूं जिसकी
इर्षा करे इश्वर.
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