निषाद : प्रवीण गढ़वीकी गुजराती कविता हिन्दी अनुवादमें
Sunday, May 20, 2018
महामानव
आत्मा जिस की,
बहुत बड़ी,
वह महामानव.
आत्मा जिस की,
गूंगी,
वह महादानव.
आत्मा जिस की,
सयानी,
.
वह महाजन.
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