नशेबाज
मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
कि
नशाखोर
की बेहाल औरत के आंसू को
पीता
था.
भ्रष्टाचारी
मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
कि
बेंक
में उसका कोई खाता नहीं था!
दुराचारी
मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
कि
हबशी
वेह्स्या के घर से
वह
वापस लौटा था!
खादीधारी
नहीं मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे,
क्यों
कि
हर हाथ
को rojgaareइ का swस्वप्न
देना
चाहता था!
कछनी
नहीं पहनता मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे,
अर्धनग्न
आदिवासी नारी की
छाती
ढँकने के लिये
उस ने
छोड़े thथे वस्त्र!
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
कि
दलित
पीड़ित उस के ह्रदय में बसते थे!
अम्बेडकरवादी
मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे,
माँ ने
ना कहा था फिर भी
उस ने
उकाभाई को छुआ था!
निरीश्वरवादी
मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
कि गेरुए वस्त्र
नहीं
पहने थे उस ने!
हरि
लाल जैसा मैं फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे,
क्यों
कि वह
हजारों
अनाथ का बाप था!
गांधी
का एक भी
सुलक्षण
नहीं है मुझ में
फिर भी
गांधी
प्रिय मुझे
क्यों
की
दासत्व
के अन्धकार में
झलाझल
सूर्य हो कर
प्रकाशित
हुआ था वह !
सोते
हुए अजगर को
जगाया
था उस ने!
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