गांधी
और माओ,
धड
एक,चेहरे अलग.
गांधी
ने चलाया चरखा,
माओ ने
चलाई बन्दूक.
गांधी
मानता था,
सत्ता
जनमती है गणशक्ति से.
माओ
मानते थे,
सत्ता
जनमती है गनशक्ति से.
गांधी
की दांडी कूच,
मुठ्ठी
में नमक सर अपर लाठी के प्रहार.
माओ की
लम्बी कूच,
हर कदम
पर उपरनीचे बम धमाके.
दोनों
कहते थे,
होनी
चाहिए रोजगारी हर घर.
दोनों
जानते थे,
यंत्र
की यंत्रणा.
दोनों
बोले,
विद्यापीठ
छोडो,
गाँवों
में जाओ,
लोगों
को जगाओ.
गांधी
था मरजियात,माओ था फरजियात.
दोनों
अब बिसरे
शेर
बाजार के जुए से हारे.
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