निषाद : प्रवीण गढ़वीकी गुजराती कविता हिन्दी अनुवादमें
Sunday, May 20, 2018
स्वर्ग-नर्क
प्रकृति ने तो
दी
नीलहरित
पृथ्वी
सुन्दर स्वर्ग सम.
मानव ने
बनाई
इसे नर्क सम.
अन्याय अत्याचार शोषण से.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment