मार्क्स
गांधी विचार
पसंद
आये ऐसे मीठे,
भोर के
सुहाने सपने जैसे
मुलायम
और सुन्दर,
दिवा
स्वप्न जैसे रमणीय.
काव्य
के शब्द जैसे मननीय
किन्तु
धरती
पर उतारने मुश्किल!
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