नारी
तू
भोग-उपभोग का
खिलौनामहज,साधनमहज.
तू
केवल कठपुतली,
तू
सिर्फ शतरंज का प्यादा.
हम
तूझे
बिकीनी
भी पहनाएं और बुरखा भी.
हम
तुझे
सरस्वती
भी बनाएं और सुरदासी भी.
हम
तुझे
राजरानी
भी बनाएं और राजदासी भी.
हम
तुझे
गृहवधू
भी बनाएं और ग्रामवधू भी.
हम
तुझे
भोगें
पर तुझे भोगने न दें कोई सुख.
हम
तुझे
चूमें
और हंटर भी लगाएं.
हम
तुझे
दूध
पीती करें और तेरी भ्रूणहत्या भी करें !
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