ग़ालिब,दिल बहेलाने के लिये
सोश्यालिज़म का ख़याल अच्छा है.
ख्व़ाब है,उम्मीद नहीं
रोमन सम्राट ने स्वीकार किया था
इसु ख्रिस्त का
ऐसे एक दिन हों कि
अमरिका स्वीकार कर ले समता वाद.
समूचे विश्व में फैले
समता वाद.
ख्व़ाब है,उम्मीद नहीं
सब सामान,सब सुखी खुश
न शोषण,किन्तु पोषण.
रोजी रोटी कपड़ा मकान सब के लिए.
न भूखमरी,न भीखमंगा.
न बाल मजदूर,न बंधुआ,न वेश्या.
ख्व़ाब है,उम्मीद नहीं
मय के दो
घूंट,संगीत के सूर
गझल के लफ्ज गीतके सब्द सब के लिए.
ख्व़ाब है,उम्मीद नहीं
ग़ालिब,दिल बहलाने के लिए
सोश्यालिझम का ख़याल अच्छा है.
No comments:
Post a Comment